Mutual Fund me Invest Kaise Karen in Hindi – Sikho 100% Gyan

आज हम बात करने वाले है की Mutual Fund Me Invest Kaise Kare और यह क्या होता है ?मेरे बहुत से मित्र है जो Mutual Fund को भी शेयर मार्किट समझते है और इसमें अपना पैसा इन्वेस्ट नहीं करते है और इसी डर के कारण वह अपने पैसे से फायदा नहीं ले पाते। आज हम आपको म्यूच्यूअल फण्ड से जुड़े बहुत से myths से रूबरू करवाएंगे और आपको म्यूच्यूअल फण्ड क्या है और इसमें कैसे इन्वेस्ट करे? म्यूच्यूअल फण्ड कितनी तरह के होते है और इसके क्या फायदे होते है ? SIP क्या होता है? क्या म्यूच्यूअल फण्ड भी शेयर मार्किट की तरह ही होता है? जैसे और भी बहुत से सवालो के जवाब देंगे। चलिए दोस्तों शुरू करते है।

Table of Contents

    Mutual Fund Kya hota hai?

    Mutual Fund बड़ी बड़ी इन्वेस्टिंग कम्पनीज के द्वारा generate किया गया है। म्यूच्यूअल फण्ड को हम Common Fund के नाम से भी जानते है क्युकी म्यूच्यूअल फण्ड में बहुत से लोगो के पैसो को इकठा करके रखा जाता है इसीलिए इसे म्यूच्यूअल फण्ड बोलते है। यह छोटे Investors को ध्यान में रखकर बनाया गया है। अब इस पैसे को अच्छी से अच्छी जगह इन्वेस्ट किया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा रिटर्न्स मिल सके और यह काम professionals के द्वारा किया जाता है जिन्हे हम Fund Manager के नाम से जानते है।

    Fund Manager : आपके Mutual Fund को कहाँ कब और कितना इन्वेस्ट करना है यह सब कुछ फण्ड मैनेजर्स के द्वारा किया जाता है।

    Mutual Fund कितने प्रकार के होते है ?

    Mutual Fund को हम लोग 2 आधार पर बाँट सकते है :

    • Asset के आधार पर
    • Structure के आधार पर

    1. Asset के आधार पर म्यूच्यूअल फण्ड 3 प्रकार के होते है जिन्हे आज हम अच्छे से जानेगे तो चलिए बात करते है की वह तीन प्रकार कोनसे है।
    • Equity Mutual Fund
    • Debt Mutual Fund
    • Hybrid Mutual Fund

    1. Equity म्यूच्यूअल फण्ड क्या है ?

    Equity Mutual Fund वह फण्ड होते है जिन्हे सिर्फ स्टॉक मार्किट में इन्वेस्ट किया जाता है और यदि आप अपने पैसे को अच्छी कम्पनीज के शेयर्स में इन्वेस्ट करना चाहते है तो आप इक्विटी म्यूच्यूअल फण्ड ऑप्शन के साथ जा सकते है।

    2. Debt म्यूच्यूअल फण्ड क्या है ?

    इस Fund में basically Government Bonds और Treasury Bills में इन्वेस्ट किया जाता है। इस फण्ड में आपको Return और Risk Equity फण्ड के मुकाबले में बहुत ही काम देखने को मिल सकते है और यदि आपकी इच्छा है की आपका पैसा शेयर्स की बजाये अच्छे बांड्स या Treasury Bills में इन्वेस्ट हो तो आप इस फण्ड के साथ जा सकते है।

    3. Hybrid म्यूच्यूअल फण्ड क्या है ?

    इस तरह के Fund को आप नाम से ही पहचान पा रहे होंगे जैसे की Hybrid इसका मतलब यह है की आपका पैसा दोनों तरह के फंड्स जैसे Equity और Debt दोनों में ही इन्वेस्ट होगा। इसीलिए यदि आप चाहते है की आपका जो भी पैसा हो उसकी कुछ मात्रा आप शेयर्स में चाहते हो और बाकि की बांड में तो आप hybrid म्यूच्यूअल फण्ड के साथ जा सकते है। इसमें जो Return और Risk होता है वह Equity म्यूच्यूअल फण्ड से कम और Debt Mutual Fund से थोड़ा ज्यादा होता है।

    दोस्तों अभी हमने Asset के आधार पर ३ तरह के Funds को अच्छे से समझा आगे हम समझते है की Structure के आधार पर कितने तरह के फंड्स होते है।

    Structure के आधार पर Mutual Fund

    • Open Ended Mutual Fund
    • Closed Ended Mutual Fund
    • Interval Fund

    1. Open Ended Mutual Fund :

    इस तरह के म्यूच्यूअल फण्ड में आपको पूर्ण आज़ादी होती है जिसमे आप कभी भी Invest और कभी भी Sell कर सकते है।

    2. Closed Ended Mutual Fund:

    इस तरह के म्यूच्यूअल फण्ड में आप सिर्फ एक बार ही इन्वेस्ट कर सकते है और इसमें जबतक फण्ड का Term खत्म नहीं हो जाता तब तक हम न तो उसमे हम इन्वेस्ट कर सकते है और न ही sell कर सकते है।

    3. Interval Fund:

    इस तरह के म्यूच्यूअल फण्ड में आपको यदि Invest करना है या Sell करना है यह आपका एक खास Interval में ही हो सकता है जोकि इंटरवल म्यूच्यूअल फण्ड Decide करते है। इंटरवल खत्म होने पर हम इसमें न तो इन्वेस्ट कर सकते है और न ही Sell।

    Mutual Fund में Invest करने के फायदे

    • म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करना आसान है और इसमें हमारे पैसे Professional Fund Mangers द्वारा अच्छी से अच्छी कम्पनीज में इन्वेस्ट किये जाते है ताकि हमे ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट हो।
    • म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करना स्टॉक मार्किट में इन्वेस्ट करने से कम risky है और returns भी अच्छे मिलते है।
    • म्यूच्यूअल फण्ड में लम्बे समय तक इन्वेस्ट करके हम अच्छे रिटर्न्स पा सकते है।
    • अगर इन्वेस्टमेंट के बारे में ज्यादा जानकारी न हो तो भी इसमें इन्वेस्ट करना बेहद आसान है।
    • म्यूच्यूअल फण्ड से समय की बचत होती है।

    म्यूच्यूअल फण्ड के नुकसान

    • Mutual फण्ड स्कीम्स Maturity Tax फ्री होती है और कोई Tax नहीं होता है परन्तु 1 वर्ष के भीतर बेचने पर आपको Short Term Capital Gain (STCG)देना होगा और 1 वर्ष के बाद आपको Long Term Capital Gain (LTCG) देना होता है।
    • जैसे की Fixed Deposit,PPF और पोस्ट ऑफिस सेविंग्स में Fixed रिटर्न्स होती है परन्तु म्यूच्यूअल फण्ड स्टॉक मार्किट से जुड़े होने के कारण Returns Up-Down रहते है और Short Term Investment में यह रिस्क सबसे ज्यादा होता है।
    • अधिकांश म्यूच्यूअल फण्ड में कोई भी लॉक इन पीरियड नहीं होता है परन्तु Closed Ended Scheme में Lock In Period होता है इसलिए आवश्यकता अनुसार सही म्यूच्यूअल फण्ड का चुनाव करना जरूरी होता है।

    Mutual Fund में इन्वेस्ट करने के तरीके

    म्यूच्यूअल फण्ड में पैसा इन्वेस्ट दो तरीको से किया जा सकता है:

    1. Lump- Sum
    2. SIP

    1. Mutual fund Lump-Sum Scheme क्या होती है ?

    Lump Sum Scheme का मतलब है की आपको जो भी इन्वेस्टमेंट करनी है वह आप इक्कठी एक ही बार में कर देते है जैसे की यदि आपको 1 लाख रुपया निवेश करना है तो वह आप एक ही बार में पुरे का पूरा इन्वेस्ट कर देते है तो उसे हम Lump Sum स्कीम कहते है। इसमें मिनिमम इन्वेस्टमेंट आपको 5000 रुपया करनी पड़ती है (परन्तु कुछ म्यूच्यूअल फंड्स में यह 1000 रुपया से भी स्टार्ट होती है। One Time Investment के कारण आपको निवेश की लागत Maintain नहीं हो पाती इसमें यह बहुत ज्यादा भी हो सकती है और कम भी।

    इसमें क्युकी One Time Investment है इसीलिए Risk थोड़ा ज्यादा ही रहता है। अगर Returns की बात करे तो इसमें पूरा पैसा एक ही बार में लगाया जाता है इसीलिए Long Term में आपको Returns SIP की तुलना में ज्यादा ही देखने को मिल सकता है। क्युकी Lump Sum अमाउंट होने के कारण पुरे पैसा का Profit एक साथ बनना स्टार्ट हो जाता है।

    2. SIP क्या होती है?

    SIP की फुल फॉर्म Systematic Investment Plan है। यह एक ऐसा माध्यम है जिससे की हम म्यूच्यूअल फंड्स में इन्वेस्टमेंट कर सकते है। इस SIP प्लान को Use करके हम आसानी से और स्मार्ट तरीके से इन्वेस्मेंट कर सकते है। इसके कारण से SIP प्लान काफी Popular है।

    इसके ज़रिये आप म्यूच्यूअल फंड्स में Regular Investment कर सकते है। इसमें आपके पास एक ऑप्शन होता है की एक Pre-Determined Amount को Regular Intervals में इन्वेस्ट कर सकते है।

    Pre-Determined Amount: इससे मतलब है की आप एक छोटा से बड़े Amount को Weekly Basis, Monthly Basis , Quarterly Basis या Yearly Basis पर भी इन्वेस्ट कर सकते है। जब हमे यह पता हो की कितना और कब इन्वेस्ट करना है तो इसीलिए SIP प्लान इन्वेस्टमेंट का अच्छा ऑप्शन हो सकता है।

    SIP कैसे काम करता है ?

    SIP का इस्तेमाल करने से पहले सबसे पहले आपको यह सोचना है की आपको कितना पैसा इन्वेस्ट करना है और कब इन्वेस्ट करना है। जैसा की हम पहले ही पढ़ चुके है की इसमें Weekly, Monthly, Quarterly और Yearly इन्वेस्ट कर सकते है। आपको इनमे से चुनना है की आपको कब इन्वेस्ट करना है।

    Example:

    मान लीजिये की आप 10,000 रुपया इन्वेस्ट करना चाहते है और फिर अपने monthly प्लान चुना की आप हर महीने इन्वेस्ट करना चाहते है। जब आप यह decide कर लेते है की आपको कितना और कब इन्वेस्ट करना है बस फिर Automatically आपके इन्वेस्टमेंट प्लान के हिसाब से Automatically आपके अकाउंट से वह Amount Deduct होता रहता है और वह उस Specified म्यूच्यूअल फण्ड स्कीम में इन्वेस्ट हो जायेगा।

    जब आपका पैसा म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट हो जायेगा तब म्यूच्यूअल फण्ड उस समय के रेट के हिसाब से मार्किट में खरीदारी करेगा और उसके बदले आपको कुछ Mutual Fund Units मिलते है और यह Units म्यूच्यूअल फण्ड का मार्किट में Investment जो है उसको दर्शाते है।

    इसमें इन्वेस्टर्स जब मार्किट में आपके पैसे को इन्वेस्ट करने जायेगा तो मार्किट में खरीदारी मार्किट के Prices के अनुसार होगी वह कभी कम Prices पर होगी और कभी ज्यादा इससे इन्वेस्टर्स को Rupee Cost Averaging का फायदा होगा और जब आप SIP इन्वेस्टमेंट के ज़रिये म्यूच्यूअल फण्ड में इन्वेस्ट करना प्रारम्भ करते है तो आपको Power of Compounding का फायदा मिलता है।

    अब बहुत से मेरे दोस्त सोच रहे होंगे की यह Rupee Cost Averaging और Power of Compounding का क्या मतलब होता है तो चलिए समझते है की यह दोनों क्या बला होती है और कैसे काम करती है ।

    1. Rupee Cost Averaging:

    मान लीजिये आप आपका 10000 रुपया का पैसा म्यूच्यूअल फण्ड में नहीं स्टॉक मार्किट में लगाने का सोचते है और उस स्टॉक का प्राइस 1000 रुपया है तो इस महीना जब आप SIP इन्वेस्टमेंट करेंगे तो आपके 10000 के बदले आपको उस कंपनी के 10 शेयर मिलेंगे। और यदि हो सकता है की जब आप अगले महीने इन्वेस्टमेंट करने जायेगे तो उस स्टॉक का प्राइस 2000 रुपया होगा तो आपको उस कंपनी के 5 शेयर्स मिलेंगे और यदि उससे अगले महीने आप इन्वेस्टमेंट करने जायेगे और स्टॉक का प्राइस 2000 रुपया से निचे गिरकर 500 रुपया चला गया तो आपको उस कंपनी के 20 शेयर्स मिलेंगे।


    इसमें आप एक कॉमन चीज़ नोटिस करे की इसमें आपका जो इन्वेस्टमेंट है वह फिक्स है इसीलिए जब मार्किट निचे जाता है तो ऑटोमेटिकली खरीदारी ज्यादा हो जाती है जहाँ आपको ज्यादा शेयर्स मिलते है जब मार्किट ऊपर होता है तो आपकी खरीदारी ऑटोमेटिकली कम होती है और आपको कम शेयर्स मिलते है।

    इसका सबसे बेस्ट Advantage यह है की मार्किट प्राइस ऊपर जाये या निचे आपका Average Buying Price Automatically Balanced होता रहेगा और आप बिना मार्किट की टेंशन लिए अपने पैसा इन्वेस्ट कर सकते है।आप बिना मार्किट की टेंशन लिए अपने पैसा इन्वेस्ट कर सकते है। इसी को हम Rupee Cost Averaging कहते है।

    2. Power of Compounding

    यह बेहद ही चमत्कारी चीज़ है और अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा है की जो कंपाउंड इंटरेस्ट की गेम को समझ गया वह एक राजा के सामान है। चलिए बात करते है की यह Compounding है क्या। दोस्तों कम्पाउंडिंग में एक बेसिक चीज़ होती है जैसे की मान लीजिये की आप एक Certain ग्रोथ रेट से बढ़ रहे है लेकिन वह जो ग्रोथ रेट है वह एक नए बेस के साथ बढ़ रहा है। चलिए इसको थोड़ा एक्साम्प्ले से समझते है।

    मान लीजिये अपने 100 रुपया से इन्वेस्ट करना स्टार्ट किया और आपका ग्रोथ रेट है 10% अब साल के एन्ड में आपको 10% का ग्रोथ मिला और अब आपके पास हो गए 110 रुपया। अब ज़रा ध्यान दीजिये जब अगले साल आपको और 10% का ग्रोथ मिलेगा वह आपको नई Base Price जोकि 110 है उसका मिलेगा। इसका मतलब यह है की आपको ग्रोथ 10 परसेंट का ही होगा इसका मतलब आपने इस साल 10 रुपया की बजाए 11 रुपया कमाए।

    इसका मतलब यह है की आपका नया Base Price है 110 रुपया + 11 रुपया = 121 और अब एक और साल आया उस पर भी आपने 10% ही Grow किया तो ग्रोथ रेट तो Same है पर बेस चेंज हो चूका है अब आप 121 रुपया पर 10% कमा रहे है। इसका मतलब आप कमा रहे है 12.1 रुपया। इसका मतलब आप इससे अगले साल 121 +12.1 रुपया मतलब की 133.1 रुपया। इसके बाद आपका यह मुनाफा आपके नए Base Price के हिसाब से ऐसे ही बढ़ता रहेगा।

    तो अगर आप ज़रा ध्यान दे की हर साल आपका Growth Rate तो Same है जोकि है 10% पर आप जितना कमा रहे है वह बढ़ रहा है पहले साल अपने सिर्फ 10 रुपया कमाए, दूसरे साल अपने 11 रुपया कमाए , तीसरे साल अपने 12.1 रुपया कमाए and So On.

    SIP की विशेषताएं

    • SIP हमेशा Open Ended Funds में ही होता है मतलब की आप जब चाहे अपना पैसा निकल सकते है।
    • इसमें कोई भी Tenure फिक्स नहीं होता है।
    • सेलेक्ट किये गए SIP में आप Tenure खत्म होने से पहले और खत्म होने के बाद उसे बढ़ाया और घटाया जा सकता है।
    • आप जितना लम्बा टाइम चाहे तब तक आप Invest कर सकते है।
    • आप अपना सारा पैसा Tenure खत्म होने से पहले या बाद में Fully या Partially Withdraw कर सकते है।
    • आप जितना भी SIP Investment कर रहे है उसे आप जब चाहे बढ़ा या घटा सकते है।

    SIP के फायदे

    SIP के मुख्यता दो फायदे है जोकि है :

    • इसमें आप कम से कम पैसो का इन्वेस्टमेंट भी कर सकते है
    • इसमें आपको मार्किट की नॉलेज होना जरूरी नहीं है यह काम फण्ड मैनेजर्स सँभालते है और आपको अच्छे रिटर्न्स मिलते है।

    SIP के नुकसान

    • SIP शार्ट टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए नहीं है यह एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट में ज्यादा फायदेमंद होती है।
    • यह जो भी प्रॉफिट देगा जरूरी नहीं की वह हर साल Same रहे वह मार्किट के अनुसार रहता है कभी आपको नुकसान होगा और अगले साल आपको मुनाफा इसीलिए इसमें हम हर साल मुनाफा होगा यह नहीं assume कर सकते।

    SIP लेते समय यह यह दो गलतिया न करे?

    • सबसे पहली गलती मेरे दोस्त यह करते है की जब वह सिप में इन्वेस्टमेंट स्टार्ट करते है तब मार्किट बहुत ही अच्छी होती है और वह इन्वेस्टमेंट स्टार्ट कर देते है पर कुछ महीने बाद जब मार्किट Down जाती है तब वह Panic हो जाते है और अपनी इन्वेस्टमेंट को रोक देते है और यह इंतज़ार करते है की मार्किट कब ऊपर जायेगा बस आप यह गलती नहीं करनी है। क्युकी SIP स्कीम का मतलब ही यही है की Systematically रूप से इन्वेस्टमेंट करना। इसीलिए आप Regular इन्वेस्टमेंट स्टार्ट रखे और बंद न करे।
    • दूसरी गलती मेरे दोस्त यह करते है की जैसे अपने 20 साल का SIP प्लान बनाया और आपको आगे चलकर उसमे बहुत ही अच्छे रिटर्न्स आने स्टार्ट हो गए है और मुनाफा आना भी स्टार्ट हो गया है। आपको यह ध्यान रखना है की जैसे जैसे आपको मुनाफा हो रहा है वैसे वैसे आपको अपने SIP Investment Amount को भी Increase करना है इससे आपको अधिक फायदा देखने को मिलेगा।

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